सोमवार, 30 मई 2022

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 रोहिणी 14




रोहिणी नक्षत्र के बीज मंत्र ” ऊँ ऋं ऊँ लृं ”

2.उद्धव जी द्वारा भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन 

3.भगवान के अन्य लीला चरित्रों का वर्णन 

4.उद्धव जी से विदा होकर विदुर जी का मैत्री ऋषि के पास जाना 

5.विदुर जी का प्रश्न और मैत्री जी का श्रृष्टि क्रम वर्णन 

6.विराट शरीर की उत्पत्ति 

7.विदुर जी के प्रश्न 

8.ब्रह्मा जी की उत्पत्ति 

9.ब्रह्मा जी द्वारा भगवान की स्तुति 


10.10 प्रकार की सृष्टि का वर्णन 

11.मनवंतर आदि काल विभाग का वर्णन 

12.सृष्टि का विस्तार 

13.वाराह अवतार की कथा 

14.दितिका गर्भधारण 

15.जय विजय को सनकादिक का शाप।

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13.वराह

 वराह अवतार